मुझे क्या हो चला है
कोई तो बताये ?
अच्छा लगने लगा है
ये पल, दुरियां, और
ये घर की पाबंदियां
मुझे क्या हो चला है
कोई तो बताये?
अपने में सिमित हूँ
अपनों में खोयी हूँ
बस मज़े ले रही हूँ
मुझे क्या हो चला है
कोई तो बताये?
घर पर ही हैं सब
दूर से सब जारी है
मेरे सब तो साथ हैं
मुझे क्या हो चला है
कोई तो बताये?
मोहब्बत सी हो गयी है
इन दिनों से और
इन हादसों से मगर
मुझे क्या हो चला है
कोई तो बताये भी ?
~ फ़िज़ा
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