Friday, April 17, 2020

नए पादरी से मुलाकात हुई !

बायोडाटा बनगया था बस छपवाना रेहा गया था, 
समझ आया वहां और यहाँ के बायोडाटा में फर्क है,
भारत में जन्मपत्री तक लिखवा देते हैं जहाँ,
यहाँ गोपनीय बातें नहीं छपवाते थोड़े सभ्य हैं जहाँ ,
बिना पादरी के जाने दस कापियां छपवाए ही लिए ,
पादरी को स्याही की फ़िक्र तो कभी मेरे बारे में, 
वक्त कुछ अनुवाद में तो बाइबिल में गुज़रा,
उस रात नींद जल्दी आयी थी जेटलैग जो था,
यमुना एक नाम सा था जो दिन-रात काम ही करती
सोचा कभी कोई इतना समर्पित कैसे हो सकता है ,
क्या ज़िन्दगी जीने की चाह नहीं जीवनसाथी नहीं,
अगली सुबह सलीके से चर्च के लिए रवाना हुई 
आज्ञाकारी की तरह आंटी के संग गयी उन संग बैठी,
अपनी जैकेट टांग कर बेंच पर बैठे बाइबिल हाथ लेकर,
मैं जैसे कोई नमूना थी हर किसी की आँखें घुर रही थीं,
उनके बेटी और बेटा संग तो थे मगर इस सब से जुदा -जुदा,
प्रभु की स्तुति कहकर पादरी ने स्वागत किया हर किसी का,
मैंने भी हर किसी मिलती नज़र से झुक कर कहा नमस्ते,
ताज़्ज़ुब और हैरत है के बेचने का कौशल हर जगह कामियाब है 
पादरी ने मंच पर उपदेश देते हुए मेरा नाम पुकारकर स्वागत किया,
देखा, हाथ में मेरे माइक थमाके पुछा कहो कितनी व्याकुल हो धर्म बदलने ,
हैरान मैं ये सब देख मगर बारी आये तो खेल तो खेलना ही है ,
माइक पकड़कर पादरी की तारीफ करते हुए येशु के त्याग की कहानी पर 
पादरी को धन्यवाद केहकर सभी का अभिनन्दन किया और माइक दे दी,
पादरी के उम्मीद में कुछ खरी नहीं मैं उतरी, 
इसी बहाने नए पादरी से मुलाकात हुई !


~ फ़िज़ा 

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