Friday, April 10, 2020

यही थी मेरी सीख..!



मेरे जीवन के एक कण  से 
कल मेरे बेटे का राब्ता हुआ 
देखकर गले लगा और फिर 
फुट-फुट कर रोया दुलारा 
उसके आँसुंओं को देखकर 
लगा मेरा बेटा अब बड़ा हुआ 
ज़िन्दगी के रास्ते सरल होते 
जब माँ-पिता के संग रहते 
अपनी दुनिया बसाने चलते 
यही सीख दे सकी मैं उसे 
ज़िन्दगी में वही करना जो 

तुम्हें अच्छा लगे और वही 
जो तुम्हें खुश रखे जीवन में 
बाकी हर उस चीज़ से दूर 
रहना जो जीवन में दुःख दें 
ज़िन्दगी ज़िंदादिली का नाम 
जीना जहाँ ख़ुशी हो साथ 
यही थी मेरी सीख जो दी 
बेटे को उसके तेरहवें साल 

~ फ़िज़ा 

No comments:

अच्छी यादें दे जाओ ख़ुशी से !

  गुज़रते वक़्त से सीखा है  गुज़रे हुए पल, और लोग  वो फिर नहीं आते ! मतलबी या खुदगर्ज़ी हो  एक बार समझ आ जाए  उनका साथ फिर नहीं देते ! पास न हों...