एक सपना यूँ भी आया ...!

कल रात शारुख आये थे सुना शूटिंग हैं यहाँ पर देखते ही मुझे गले लगाया लगे हाथ मैंने भी बताया यहाँ सामने ही है घर मेरा देख उस तरफ पुछा मुझ से वो जो खड़ी हैं मम्मी है तुम्हारी? हामी भरते मैंने भी सर हिलाया शूटिंग करते हुए छलांग यूँ लगाया सीन कट सुना फिर बालकनी में पहुंचे देखा मम्मी को गले लगाकर पाँव छूआ जाने क्या होने लगा डायरेक्टर ने कैमरा हम पर भी घुमाया लिए कुछ डांस सीन फिर हम भी निकल आये दूसरे दिन एक फ़ोन आया महिला की आवाज़ में नाम हमारा बुलाया फ़ोन पर बात-चीत हुई कहने लगीं रीशूट पे बुलाया सोचने लगे हम कहाँ शूट कर रहे इतने में वहां से पुछा भारततनाट्यम कर लेती हो? हमने झिझकते आवाज़ में कहा नहीं, मगर सीखा दो तो कर भी लेंगे पोज़ हंसकर बोली हरामज़ादी काहे डरती हो ग़ुस्से से हमने भी टर्राया कैसी जुबान है ये तुम्हारी अच्छी हिंदी की करती हो बदनामी? नाम क्या है तुम्हारा जनानी ? कहने लगी डॉली हृषिकेश सुनते ही फिर डाँट लगाया अपनी जगह की लाज रख कन्या भाषा कभी बुरी नहीं होती करते हैं उसे हम बेबुनियादी उसे पता नहीं था माइक के पास थी वो खड़ी शारुख क्या सब यूनिट ने सुन ली शर्म से वो 'सॉरी' ...