ए चाँद मेरे मुझे मिला भी तो वहीं जाते - जाते...

तुझे देख मैं निकल पड़ी अपने रास्ते जिधर ले जाता चले वहीं हम आते कभी पेड़ों के पीछे तो कभी बादल आ जाते ढूंडती हुई निकल पड़ी सवारी जाते-जाते देखा मेरी ज़िंदगी "रेडियो ज़िंदगी" के आते-आते मुझे मिला मेरा साजन ज़िंदगी के रास्ते ए चाँद मेरे मुझे मिला भी तो वहीं जाते - जाते जहां शाम ज़िंदगी की करने निकले थे समा सजाते ~ फ़िज़ा