पिता की उंगली पकड़ कर चलना
ये तो पैदा होते ही सिखाया माँ ने
उंगली पकड़ते चलते सँभलते हुए
हर इच्छाएं मेरी पूरी की हमेशा से
कभी किसी बात से डर भी होता
तो पिता की आड़ में रहकर कहते
जब कोई बात मनवानी हो माँ को
पिता के नाम का ही डर जताती वो
हर-उतार चढाव में ज़िन्दगी के मेरे
एक हौसला, साथी ढाल बनके रहे
वो शख्स जिसे सिर्फ याद करने से
दुनिया भर की खुशियां हौसले मिले
~ फ़िज़ा