
ज़िंदगी में एक ख्वाब
मैंने भी बुना है
मन ही मन कुछ सिला है
पुरे होने की आरजू़ है
लेकिन साथ मेरा कोई दे..!?!
इसी की आकाँशा है!
दोस्तों का साथ हो
बडों का आशि॔वाद हो
मेरे सपनों की बुनी एक किताब
कहो! है न मेरे सर पर आपका हाथ?
~फिज़ा
ऐसा था कभी अपने थे सभी, हसींन लम्हें खुशियों का जहाँ ! राह में मिलीं कुछ तारिखियाँ, पलकों में नमीं आँखों में धुआँ !! एक आस बंधी हैं, दिल को है यकीन एक रोज़ तो होगी सेहर यहाँ !
अक्सर इंसान ख्वाब देखता है किंतु उसे पूरा होते देखने में कई बार वो आडंबरी
रस्मों में फँस जाता है क्योंकि वो भी आखिर इन्हीं गुँथियों में गुँथ जाता है
बहुत दिनों बाद पेश है ....राय की मुंतजि़र
के तरंगों का कारवाँ हुआ हैवान
सुखी बँज़र ज़मीन पर आज फिर
एक नया बीज़ बन के कोई अरमान
आँखों से तो ले ही गया नींद
दे गया हजा़रों सपने जवान
कल जब कहा था छू कर के मेरा हाथ
दिल भी और जान भी रेह गये हैरान
इंतजा़र मे़ है 'फिजा़' ये दिल अब तो
के कब रस्मों से हों रिश्ते बयान
फिजा़
आओ तुम्हें इस खंडहर की कहानी सुनाऊँ एक बार सीरिया ने अंधाधुन धावा बोल दिया इसरायली सिपाही इस धावा के लिए तैयार न थे नतीजा ३६ इसरायली सिपा...