जाने क्यूं ?

जाने क्यूं वो रोकता था , प्यार से मुझे घोलता था , मुझको भी सब मीठा लगता था , जाने क्यूं वो रोकता था ! तोहफे वो रोज़ लाता था , नज़र ना लगे इस वजह छुपाता था , गुड़िये जैसा सजाता भी था , जाने क्यूं वो रोकता था ! तब तडपकर वो टूट जाता था , एक दिन वो पल भी आया था , मुझे दूर लेजाकर छोड़ आया था , तभी मुझे बचाकर रखता था , जाने क्यूं वो रोकता था ,! शायद प्यार खुद से करता था , उसकी जान मुझ में बसा था , तब जाके समझा ... जाने क्यूं वो रोकता था !!!... ~ फ़िज़ा