
ज़िंदगी में एक ख्वाब
मैंने भी बुना है
मन ही मन कुछ सिला है
पुरे होने की आरजू़ है
लेकिन साथ मेरा कोई दे..!?!
इसी की आकाँशा है!
दोस्तों का साथ हो
बडों का आशि॔वाद हो
मेरे सपनों की बुनी एक किताब
कहो! है न मेरे सर पर आपका हाथ?
~फिज़ा
ऐसा था कभी अपने थे सभी, हसींन लम्हें खुशियों का जहाँ ! राह में मिलीं कुछ तारिखियाँ, पलकों में नमीं आँखों में धुआँ !! एक आस बंधी हैं, दिल को है यकीन एक रोज़ तो होगी सेहर यहाँ !
खूबसूरत हवाओं से कोई कह दो यूँ भी न हमें चूमों के शर्मसार हों माना के चहक रहे हैं वादियों में ये कसूर किसका है न पूछो अब बहारों की शरा...