काश! कुछ कर पाते...

हर तरफ कोरोना का शोर है हर तरफ वैक्सीन का भी नारा कोई ये लो कहता तो कोई वो कोल्हाहल सा मचा है हर तरफ कोई मास्क पहनता है कोई नहीं किसी को बहुत आत्मविश्वास है कोविड नहीं होगा बस घूम रहे हैं अपना नहीं औरों का ही सोचते खुद बेहाल औरों का भी ये हाल हर दिन साथियों के जाने की खबर कोई कोविड से ग्रस्त हस्पताल में मुझे मिले वैक्सीन अपराध सा लगे मगर मैं फिर भी तो नहीं आज़ाद दोस्तों के बारे में सोचूं तो उनको वैक्सीन भी नहीं, दवा-दारू भी नहीं मौत से लड़ते हुए तो किसी अपने को कांधा दिए आँखों में आंसू ,लाचारी धैर्य देते-देते अब खुद धैर्य को थामे के जाओ नहीं छोड़कर साथ हमारा तुम नहीं तो कैसे देंगे हम हौसला एक-एक करके सभी छोड़े जा रहे इस उम्र में जब सोचा मिलेंगे अब के याद करेंगे स्कूल के मस्ती वाले दिन मगर अब श्रद्धांजलि देते थक गए हम काश! कुछ कर पाते साथियों के लिए !!!!! ~ फ़िज़ा