Posts

वो भी क्या दिन थे...!

Image
 वो भी क्या दिन थे जब खुलकर मिला करते थे  अब मुस्कुराने से झिझकते हैं कहीं मसला न हो जाये ! एक वक़्त था जब घंटों बातें होती खूब हँसते गाते  अब तो बात नहीं बहस के लिए मुद्दे का होना ज़रूरी है ! एक समय सब अपनी राय साझा करते सुन लेते थे   अब तो सबकी राय में हाँ न मिलाये तो गद्दार कहलाते है ! जीवन के पथ पर बहुत कुछ सीखा और समझा है खुश रहने के लिए चीज़ें नहीं चंद खास की ज़रुरत होती है ! कम हैं दोस्त और दोस्ती भी कहाँ है आजकल किसी से  बस 'फ़िज़ा' रिवायतें है जो निभाई जाती हैं मज़बूरी में जैसे ! ~ फ़िज़ा 

ऐ दुनियावालों ...

Image
  कभी ऐसे सलाहकार मिलते हैं  जिन्हें कोई तज़ुर्बा होता नहीं है ! चिल्लाकर लोग सच जताते हैं  भूल जाते हैं खुदी में गड़बड़ है ! बातों की रट तो है कुछ ऐसे  खुद पे भरोसा ही नहीं जैसे !  आदमी शान से कहे परवाह नहीं  औरत सोचे तो समाज जीने न दे ! कभी खुद के गरेबान में भी देखना  फायदे में तुम भी और हम भी रहेंगे ! ऐ दुनियावालों बस बोरियत है यहाँ  कब अपनी सवारी आएगी, जाना है !! ~ फ़िज़ा 

लगता है जैसे हँसते हैं इंसानों पे !

Image
 जहाँ खुला आसमान उड़ते पंछी देखूँ  लगता है जैसे हँसते हैं इंसानों पे ! वक़्त ऐसा आ चला है जहाँ पर  बिना पिंजरे के बंधी बने हैं लोग ! अब तो हालत ऐसा है जनाब जाना चाहो वापस जाने न दें ! किसी के विरुद्ध क्या बोलोगे अब  कुछ कहने से पेहले ही बोलती बंद ! कटुक नीबूरि कहाँ कनक कटोरी  पिंजर बंध कनक तीलियाँ भी नहीं ! खूब हंसो तुम पंछी खूब हंसों   पैरों पर जो मारी है कुल्हाड़ी ! ~ फ़िज़ा 

ये वैलेंटाइन का दिन

Image
  ज़िन्दगी की भाग-दौड़ में गुज़र गए पल  कहाँ फुरसत सोचने की कैसा होगा कल ! हरदम साथ में हैं और सब कुछ साथ है  मुद्दे की बात न हो ऐसा भी अक्सर होता है ! अनियोजित मुलाकात कुछ ऐसा रंग लायी  ज़िन्दगी के बाकि हिस्से की तयारी हो गयी ! उसने कहा, ज़िन्दगी तो बस तुम्हारे ही साथ है  निवृत्ति से पहले हमें साथ दुनिया घूमना है ! कुछ लम्हों की मुलाकात और बातों ने मुझे  ज़िन्दगी-भर जीने की ऊर्जा और ख़ुशी देदी  ! ये वैलेंटाइन का दिन भी कितना गज़ब है  प्यार के नए बीज़ बोने की जगह बना गयी ! ~ फ़िज़ा 

उसके ग़ुस्से पर भी प्यार आता है

Image
  उसके ग़ुस्से पर भी प्यार आता है  क्यूंकि प्यार जो मुझ से ज्यादा है  !! उसका पेहल न करना अखलाता है  मगर मेरे पेहल का इंतज़ार करता है !! उम्मीद बनाये रखना भी प्यार ही है  वर्ना पलटकर सोते ही हाथ न पकड़ता !! खट्टा-मीठा प्यार कश्मीरी चाय जैसे स्वाद दोनों का मिले इश्क़ हो ज्यादा !! आज भी नयापन है रिश्ते में बरसों से  वो गुदगुदाहट जब वो धीमे से मुस्कुरा दे !! नयी कोपलें नयी चिंगारियाँ अदभुत सा  नये मौसम में मोहब्बत हौसलेमंद सा !! ~ फ़िज़ा 

मगर ये ग़ुस्सा?

Image
  जाने किस किस से ग़ुस्सा है वो ? अपनों से? ज़माने से? या मुझ से? क्या मैं अपनों में नहीं आती? उसकी हंसी किसी ने चुरा ली है  लाख कोशिशें भी नाकामियाब हैं  उसे हर बात पे गुस्सा आता है ! अब तो और कम बोलता है वो  रिवाज़ों में बंधा है सो साथ है  अकेलेपन से भी घबराहट है ! इसीलिए भी शायद साथ है  मगर ये ग़ुस्सा? ज़माने भर से है ! उम्मीद ही दिलासा दिलाता है  इस ग़ुस्से का कोई तो इलाज हो !!! ~ फ़िज़ा 

प्रकृति का नियम

Image
  शाक से टूट गिरी ज़मीन पर  सब नया डगर अनजान मगर  दुनिया देखने का ये अवसर  मिलता नहीं शाक से जुड़कर ! सूखे पत्तों के ढेर में और भी थे  जो अनजान सही लगे अपने थे  खुली आँखों से हकीकत देखा   जीना असल में तभी तो सीखा ! प्रकृति का तो नियम स्वंतंत्र है जकड़े हैं सामाजिक मानदंड से  आडम्बर और खोकली दुनिया में  तभी तो हम इंसान कहलाये हैं ! ज़िन्दगी की बागडोर अलग है  परिचित हैं मगर जाना अलग है  हर कोई अपने में भी अलग है  विभिन्नता को एक सा क्यों देखें? ~ फ़िज़ा