Thursday, July 25, 2024

वक्त के संग बदलना चाहता हूँ !


 

मैं तो इस पल का राही हूँ 

इस पल के बाद कहीं और !

एक मेरा वक़्त है आता जब 

जकड लेता हूँ उस पल को !

कौन केहता है ये पल मेरा नहीं 

मुझे इस पल को जानना है !

नया दौर नयी दिशा सही है मगर 

वक्त के संग बदलना चाहता हूँ !

इस पल से इस पल के लोगों से 

मैं मिलकर राह बढ़ाना चाहता हूँ !

तुम मुझे अपना सको तो जानूँ दोस्त 

मैं हारने वालों में से तो हूँ ही नहीं !!!

~ फ़िज़ा 

Thursday, July 04, 2024

इंसान


 

ज़िन्दगी कभी तृप्त लगती है 

लगता है निकल जाना चाहिए 

कहते हैं न जब सुर बना रहे 

तभी गाना गाना बंद करना 

ताके यादें अच्छी रहे हमेशा !


ज़िन्दगी कभी बेकार सी लगती है 

लगता है निकल ही जाना चाहिए 

किसी को किसी की ज़रुरत नहीं 

जीने की अब कोई इच्छा भी नहीं 

निकल गए तो सब खुश तो होंगे

चलो अच्छा था अब चला गया !


क्यों सोचता है इंसान ऐसा ?

जो न ग़म, ख़ुशी में समझे फर्क 

और एग्जिट की ही सोचे हर वक़्त 

क्यों उस किनारे की तलाश करे 

जो समंदर के उस पार सी हो 

दिखाई न दे क्षितिजहिन दिशाहीन !!


~ फ़िज़ा 


Monday, July 01, 2024

ज्योति, जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ


 उसकी सादगी सीरत से है सूरत से नहीं 

उसका दिल भी किसी हीरे से कम नहीं !


जहां गंभीर हो स्तिथि तो सवेंदन कम नहीं 

वहीँ गाना बजे तो ठुमकेदार इस सा नहीं !


बातें तो सब करते हैं ये भी कोई कम नहीं 

जब आँखों से बोलतीं हैं उसका जवाब नहीं !


फुर्ती है मस्ती है बच्चों सी संस्कारी कम नहीं 

ये 'ज्योति', इसका प्रकाश दिये से कम नहीं !


ऐसी दोस्त सबको मिले जो फर्क करती नहीं 

आज मिलो या बरसों उसका प्यार घटता नहीं !


'फ़िज़ा' यही दुआ करे तेरी खुशियों में कमी नहीं 

पचास साल और आये किसी की लगे नज़र नहीं !


खुश रहती है ख़ुशी बांटकर कमज़ोर तो है नहीं 

सादगी और मोहब्बत को समझना निर्बल नहीं !!!


~ फ़िज़ा 


Friday, June 28, 2024

समाज के ठेकेदार

 


किसी की अफवाह को हकीकत बनाने लगे 

गुनेहगार होकर भी उंगली उस पर उठाने लगे !


ये देख मौके का फायदा हर कोई उठाने लगे 

जो कभी हुआ नहीं कहानी बनाकर जोड़ने लगे !


समाज के ठेकेदार बनकर औरों को दबाने लगे 

गुनेहगार होकर भी औरों पर लांछन लगाने लगे !


अपनी छोड़ किस हक़ से ये फिक्रमंद होने लगे 

भला तो किया नहीं कभी बदनाम बहुत करने लगे !


~ फ़िज़ा 

Wednesday, May 08, 2024

अस्पताल


अस्पताल 

एक ऐसी जगह जहाँ जीवन पलता है 

जीवन खेलता बेहलता  ख़ुशी देता है 

उम्मीद से भरी आशायें रोशन होती है !


अस्पताल 

जहाँ जीवन-मृत्यु का तांडव भी है 

कभी इस पार निकल आते भी हैं 

तो कभी सिर्फ खाली हाथ लौटना है !


अस्पताल 

कभी सिर्फ एक पेशा कभी एक फ़र्ज़ है 

इंसान ही है जो ग़लत भी हो सकता है 

मरीज़ मेहज़  एक मेहमान जिसे जाना है !


अस्पताल 

कभी खुशियों के किस्से सुनाये जाते है 

कभी ख़ुशी-ख़ुशी कोई घर लौटता है 

तो कभी कोई जाकर लौटता ही नहीं !


पुष्पलता को मेरी श्रद्धांजलि !!!

~ फ़िज़ा 

 

Friday, April 19, 2024

ज़िन्दगी जीने के लिए है



कल रात बड़ी गहरी गुफ्तगू रही 

ज़िन्दगी क्या है? क्या कुछ करना है 

देखा जाए तो खाना, मौज करना है 

फिर कहाँ कैसे गुमराह हो गए सब 

क्या ऐसे ही जीना है ज़िन्दगी हमें 

कुछ पल की बात है फिर कौन कहाँ 

चलो आज से जीने के नियम बनाएं 

ख़ुशी के लिए एक दिन निर्धारित करें 

घूमें-फिरें मस्ती करें ज़िन्दगी को लूट लें

बाकी तो सब चलता रहेगा ज़िन्दगी है 

पटरी पर है तो चलता भी रहेगा बेझिझक 

महीने में एक दिन अपने हित के लिए रख छोड़ 

ज़िन्दगी जीने के लिए है, यूँही गंवाना नहीं है !!!


~ फ़िज़ा 

 

Tuesday, April 09, 2024

Garmi


 

Subha ki yaatra mandir ya masjid ki thi,

Dhup se tapti zameen pairon mein chaale,

Suraj apni charam seema par nirdharit raha,

Gala sukha to shareer paseene se latpath hua,

Garmi se vichalit marti huyi bhuk to pyaas jagati,

Ye garmi itni jaldi aagayi aayi to thami kyun?

Lachaar har taraf log aur paani ki kami,

Ye kaisa grahan hai, jo suraj haavi hai Chand nahi !!


~ fiza 

वक्त के संग बदलना चाहता हूँ !

  मैं तो इस पल का राही हूँ  इस पल के बाद कहीं और ! एक मेरा वक़्त है आता जब  जकड लेता हूँ उस पल को ! कौन केहता है ये पल मेरा नहीं  मुझे इस पल ...