मोहब्बत सी होने लगी है अब फिर से
लफ़्ज़ों के जुमलों को पढ़ने लगी हूँ जब से
जाने क्या जूनून सा हो चला है अब तो
बस ढूंढ़ती फिरती हूँ उस शख्स के किस्से
अलग ही सही कुछ तो मिले पढ़ने फिर से
एक दीवानगी सा आलम है अब तो ऐसे
जब से पढ़ने लगी हूँ एक शख्स को ऐसे
~ फ़िज़ा