Thursday, November 04, 2021

दिवाली की शुभकामनाएं आपको भी !


 दशहरे के जाते ही 

दिवाली का इंतज़ार 

जाने क्यों पूनावाली 

छह दिनों की दिवाली 

एक-एक करके आयी 

दीयों से मिठाइयों से 

तो कभी रंगोलियों से 

नए कपड़ों में सजके 

मनाया तो हमने भी 

मगर सोच में हर वक्त 

बचपन की दिवाली 

पठाखे और फुलझड़ियों 

में ही खो सा गया कहीं 

अब तो दिवाली सिर्फ 

दिलों में यादों में और 

चंद लम्हों में क़ैद है 

जाने कब ये रिहा होंगे 

क़ैदख़ानों से !


~ फ़िज़ा 

खुदगर्ज़ मन

  आजकल मन बड़ा खुदगर्ज़ हो चला है  अकेले-अकेले में रहने को कह रहा है  फूल-पत्तियों में मन रमाने को कह रहा है  आजकल मन बड़ा खुदगर्ज़ हो चला है ! ...