Sunday, December 24, 2023

ज़िन्दगी

 


ज़िन्दगी अपनी है और अपने तरीके से जिए 

कब तरीके किसी और के हुए जाना ही नहीं !

आदि हैं सीधे तौर-तरीके से मुद्दे को सामने रखते 

इशारों में कितना कुछ कह दिया जाना ही नहीं ! 

वक्त-वक्त पर बदला हुआ फैसला साथ रहेंगे 

दरअसल भाग जाने के बहाने जाना ही नहीं ! 

क्या थे हम? किसे थे हम, नाज़ था खुद पर 

आज खुद को देखकर कौन है जाना ही नहीं !

नारी तो बदलती ही है हर हाल में फिर भी 

फ़िज़ा उम्मीद उसी से क्यों? ये जाना ही नहीं !

~ फ़िज़ा 

वक्त के संग बदलना चाहता हूँ !

  मैं तो इस पल का राही हूँ  इस पल के बाद कहीं और ! एक मेरा वक़्त है आता जब  जकड लेता हूँ उस पल को ! कौन केहता है ये पल मेरा नहीं  मुझे इस पल ...