सवेरे-सवेरे मीटिंग में जब सुना
कल छुट्टी है क्यूंकि होली है
मन ही मन होली के गुब्बारे
रंगों से भरे दिल में फोड़ आये
मैंने कहा खुद ही से अरे ,
बुरा न मानों होली है !!!!
~ फ़िज़ा
ऐसा था कभी अपने थे सभी, हसींन लम्हें खुशियों का जहाँ ! राह में मिलीं कुछ तारिखियाँ, पलकों में नमीं आँखों में धुआँ !! एक आस बंधी हैं, दिल को है यकीन एक रोज़ तो होगी सेहर यहाँ !
सवेरे-सवेरे मीटिंग में जब सुना
कल छुट्टी है क्यूंकि होली है
मन ही मन होली के गुब्बारे
रंगों से भरे दिल में फोड़ आये
मैंने कहा खुद ही से अरे ,
बुरा न मानों होली है !!!!
~ फ़िज़ा
आओ तुम्हें इस खंडहर की कहानी सुनाऊँ एक बार सीरिया ने अंधाधुन धावा बोल दिया इसरायली सिपाही इस धावा के लिए तैयार न थे नतीजा ३६ इसरायली सिपा...