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मना करें कब ये तैय करें कैसे?

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धीरज की भी एक हद होती है  उसके कुछ कायदे-कानून होते हैं  किसी के रोंदने की चीज़ नहीं ये  मना करें कब ये तैय करें कैसे? जीना है ज़िंदादिली से ये सच है  क्यों जीना छोड़कर तनाव में रहें? तनावभरी ज़िन्दगी क्यों?जीने के लिए? जीने के लिए जीना ये तैय करें कब? प्रबंधक का शोषण होता नहीं बर्दाश्त बात को सजकता से लेना आदत सही   क्यों सहें और कैद करें डर को अंदर? तोड़ दूँ ये शृंखला? जीना है जब निडर! ~ फ़िज़ा 

'फ़िज़ा' ये सोचती रही कितना चाहिए जीने के वास्ते?

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कुछ लोग जीते ही औरों के कबर के वास्ते  चाहे किसीका कुछ भी हो मरते हैं घर के वास्ते  कहते हैं ज़िन्दगी बहुत मुश्किल है जीने वास्ते  ज़िन्दगी आसान है बनाते मुश्किल किस  वास्ते? दूर-दूर तक न साथ फिर भी रहते एक छत वास्ते  क्यों दुश्वार जीना जब साथ नहीं एक-दूसरे के वास्ते  चंद मगरमच्छ के आँसू हो गए मजबूर ज़िद के वास्ते  बंदा जिए या मरे मगर घर दिलादे फिर मर जाये रस्ते ज़िन्दगी, ज़िन्दगी नहीं रही अब जीने के वास्ते  'फ़िज़ा' ये सोचती रही कितना चाहिए जीने के वास्ते?   फ़िज़ा