धीरज की भी एक हद होती है
उसके कुछ कायदे-कानून होते हैं
किसी के रोंदने की चीज़ नहीं ये
मना करें कब ये तैय करें कैसे?
जीना है ज़िंदादिली से ये सच है
क्यों जीना छोड़कर तनाव में रहें?
तनावभरी ज़िन्दगी क्यों?जीने के लिए?
जीने के लिए जीना ये तैय करें कब?
प्रबंधक का शोषण होता नहीं बर्दाश्त
बात को सजकता से लेना आदत सही
क्यों सहें और कैद करें डर को अंदर?
तोड़ दूँ ये शृंखला? जीना है जब निडर!
~ फ़िज़ा
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