ज़िन्दगी भी कभी थमती नहीं है ...


ज़िन्दगी की शाम जब होती है 
तभी सुबह की तैयारी होती है 

बात सही मानो तभी होती है 
जब मुद्दा समझायी जाती है 

हर एक बात की हद्द होती है 
उसके बाद ज़िद्द ही होती है 

वक़्त बे-वक़्त समझ होती है 
तब तक बहुत देर हो जाती है 

हर शाम के बाद सुबह होती है 
सुबह से ज़िन्दगी शुरू होती है 

समय का क्या, रूकती नहीं है 
ज़िन्दगी भी कभी थमती नहीं है 

चाँद भी अब मुस्कुराता नहीं है 
जाने कितनी रातें आया नहीं है  

पतझड़ के पत्तों की तरह होती है 
नयी पंखुरी फिर निकल आती है 

~ फ़िज़ा 

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