Friday, November 10, 2017

मेरा बचपन खो गया कहीं!


आज कहीं मेरा बचपन खो गया 
एक बहुत बड़ा हिस्सा बचपन का 
जिसे संवारने में मामा का प्यार था 
शांत किन्तु गंभीर स्वाभाव के थे 
मगर दिल के प्यारे और गुनी थे 
उनकी दुलारी सबसे प्यारी भांजी 
कोई और नहीं मगर मैं थी!
जहाँ भी रहे हम पास या दूर 
दिल में प्यार की गर्मी नहीं हुई कम 
वक़्त मिले जब भी मिलने आये हम 
फिर एक ऐसा भी वक़्त आया 
अस्वस्थ की खबर ले गया हमें फिर 
वहीं उनसे पुराने दिनों की यादों को 
संग लिए दिल में मिलने चले थे 
खुश था दिल वक़्त बे वक़्त ही सही 
नज़रों के सामने थे तो सही मगर 
ज़िन्दगी का भी एक ऐसा खेल है 
जब सब कुछ अच्छा हो ऐसा लगे 
तभी उसकी चाल बेहाल करे !
आज विदाई का दिन है ऐसा 
कहा जब मुझ से सवेरे सवेरे 
दिल एक पल के लिए हो गया 
बोझल, मेरा बचपन खो गया कहीं!
अब तो बस रहा गयीं यादें जो 
सताएंगी हमेशा मुझे!

~ फ़िज़ा 

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