Wednesday, October 20, 2021

जलियानावलां बाग़ !

 



लोगों की भीड़ थी पार्क में 

जैसे कालीन बिछी ज़मीं पे 

एक ठेला चलाता हुआ दिखा 

जो भर-भर लाशें एक-एक 

कोशिश करता बचाने की 

डॉक्टर ने पुछा और कितने 

सौ से भी ज्यादा कहा वो 

फिर भागा लाश उठाने 

लोगों को बचाने उधम सिंह !

~ फ़िज़ा 

ज़िन्दगी जीने के लिए है

कल रात बड़ी गहरी गुफ्तगू रही  ज़िन्दगी क्या है? क्या कुछ करना है  देखा जाए तो खाना, मौज करना है  फिर कहाँ कैसे गुमराह हो गए सब  क्या ऐसे ही जी...