Wednesday, September 24, 2014

सलाम कर फ़िज़ा ये दुनिया है बड़ी गोल



बहुत दिनो से है अपना दिल भरा-भरा 
यार ने कसर ना छोड़ी दिल खोलकर रोने दिया !

बहुत दिनो से तारीफों के पुलों पर सवार रहा 
आज हक़ीक़त से वास्ता पड़ा तो चिल्लाना आगया !

कभी मौका मिले तो सोच लेने का कष्ट किया करो 
कैसे सच्चाई से रूबबरू होने से कतराया गया !

दम भरते हैं वो  हमेशा अपने होने का दिलबर 
उतरकर देखो पानी में रेहते हो कहाँ पर गोया 

गम का ना करो चर्चा जहां सभी हैं लाचार
कभी चीरते जिगर से मुस्कुराया भी ना गया !

सलाम कर  फ़िज़ा ये दुनिया है बड़ी गोल
मिलेंगे  पत्थर उनसे जो गले लगा गया !
~ फ़िज़ा 

वक्त के संग बदलना चाहता हूँ !

  मैं तो इस पल का राही हूँ  इस पल के बाद कहीं और ! एक मेरा वक़्त है आता जब  जकड लेता हूँ उस पल को ! कौन केहता है ये पल मेरा नहीं  मुझे इस पल ...