Sunday, December 24, 2023

ज़िन्दगी

 


ज़िन्दगी अपनी है और अपने तरीके से जिए 

कब तरीके किसी और के हुए जाना ही नहीं !

आदि हैं सीधे तौर-तरीके से मुद्दे को सामने रखते 

इशारों में कितना कुछ कह दिया जाना ही नहीं ! 

वक्त-वक्त पर बदला हुआ फैसला साथ रहेंगे 

दरअसल भाग जाने के बहाने जाना ही नहीं ! 

क्या थे हम? किसे थे हम, नाज़ था खुद पर 

आज खुद को देखकर कौन है जाना ही नहीं !

नारी तो बदलती ही है हर हाल में फिर भी 

फ़िज़ा उम्मीद उसी से क्यों? ये जाना ही नहीं !

~ फ़िज़ा 

Sunday, April 09, 2023

इसरायली बंकर


आओ तुम्हें इस खंडहर की कहानी सुनाऊँ 

एक बार सीरिया ने अंधाधुन धावा बोल दिया 

इसरायली सिपाही इस धावा के लिए तैयार न थे 

नतीजा ३६ इसरायली सिपाही एक बंकर में छिपे 

सीरिया के सिपाहियों ने चारों तरफ से घेर लिया 

एक इसरायली बंकर से निकला हाथ ऊपर किये 

कहने लगा, यहाँ कोई नहीं है सिर्फ मैं हूँ 

ले चलो मुझे !

उसने ३५ सिपाहियों की जान बचायी और 

खुद दुश्मनों के हवाले कर दिया,

युद्ध-बंदी के रूप में आठ साल कैद रहा,

जब बाहर निकला तो उसे पता न था के 

इजराइल अभी विश्व के नक़्शे में है भी !

पुछा कहाँ जाओगे तो कहने लगा भारत !

उसे  क्या पता था के इजराइल उसका 

स्वागत करने के लिए बेकरार है !

शहीदों की कहानी तो शूरवीरों की मस्तियाँ  

आई. डी. ऍफ़. कमांडर याकोव सेलवन की ज़ुबानी 

आज वो बंकर इस हाल में है तो सोचो 

उन सिपाहियों का क्या हुआ ?

हर सिपाही को मेरा सलाम , प्रणाम!

~ फ़िज़ा 



 




Saturday, April 08, 2023

बांसूरीवाले बाबा


 जाने किस हाल में होगा वो ,

जाने क्या होगा उसका आगे ,

वो खुद भी नहीं आया मर्ज़ी से,

जब लाया तो क्यों ख्याल न रखा ,

वो आज लाचार है बेबस भी ,

परेशान है मेरे साथ ही क्यों ऐसा?

औरों सा सब कुछ मेरा क्यों नहीं?

संकट में पला एक बच्चे का कमरा ,

उस कमरे में एक खिड़की खुली सी ,

झांक कर देखा तो क्या 

बांसूरीवाले बाबा !

~ फ़िज़ा 

मंज़िल

 


रास्ता है एक मगर लम्बा 

मंज़िल दिख तो रही है 

मगर पहुंचना है मुश्किल 

उबड़-खाबड़ रस्ते पत्थरों के

जाएं तो कैसे जाएँ ?

मुँह मोड़ा न जाए क्यूंकि,

मंज़िल तो सामने दिख रही 

नज़रअंदाज़ करना है नामुमकिन 

मगर वही तो प्रेरणा दे रही है 

मंज़िल जो अब भी मुझे दिख  रही है 

रास्ता है एक और मंज़िल भी 

चलो चलें कहीं तो पहुंचेंगे 

शुरुवात तो करें फिर देखें !!


~ फ़िज़ा 

[ये कविता अप्रैल ७ को पोस्ट नहीं कर पायी ]

Thursday, April 06, 2023

विश्व का सबसे बड़ा चम्मच !

 

चम्मच किसको नहीं पसंद 

दूर की चीज़ को पास लाये 

कभी ज्यादा तो कभी कम 

जितना चाहो उतना ही लो 

ये चम्मच है कमाल का 

१६.१८ मीटर लम्बा २.०३ गहरा 

विश्व का सबसे बड़ा चम्मच 

वैसे लोग भी कभी होते हैं - चम्मच 

कभी किसी की चमचागिरी 

तो कभी चमचा ही बन जाते है 

चलो आज इस चम्मच से मिलाते हैं 

जो कभी उरी गेलर को मिली थी !


~ फ़िज़ा 

Wednesday, April 05, 2023

थोड़ा प्यार !


 

ज़िन्दगी भोजन के इर्द-गिर्द है 

हर कोई रोजी-रोटी के लिए 

मारा-मारा फिरता है शहर -शहर 

ख़ुशी मनाता है तब भी भोजन से 

त्यौहार मनाता है तब भी भोजन से 

जीने के किये चाहिए भी भोजन

और थोड़ा प्यार !

कब इस अधिकार और शक्ति की 

ज़रुरत ज़िन्दगी में आ धमकी  के ,

इंसान एक-दूसरे से लड़ते रेह गया 

कितने की ज़रुरत थी और देखो 

कितना कुछ कर गया इंसान ,

इस अधिकार के जतन में वो 

हैवान बन गया !!!

~ फ़िज़ा 

Tuesday, April 04, 2023

कटनी


स्वयंसेवक बनकर गए लेकेट  नामी खेत में 

फसल कटनी है जो गरीबों  के काम आनी है 

ख़ुशी-ख़ुशी चल दिए खेत में कटनी करने 

कोहलरबी की फसल जो शलजम सा है

खाने में पौष्टिक और ताज़ी फसल 

मेहनत से किसी ने बोया मगर फल ?

फल की कटनी किसी ने की और 

फल खायेगा कोई किस्मतवाला 

४४० किलो की कटनी मिलकर की

जो १५० परिवारों का भोजन बना 

नियति का भी क्या खेल है,

वो सब रचता है - कौन बोयेगा, 

कौन कटनी करेगा और कौन खायेगा 

एक दाना जो पेट भरता है वो जाने 

कितने लोगों से मिलकर आता है 

हर दाने की एक ऐसी कहानी होगी 

जिसे शायद ही कोई जान पाए ,

ये मेरी तरफ से कोहलरबी के सफर की 

एक कहानी तेल अवीव में घटी विस्मर्णीय 

कहानी ! !


~ फ़िज़ा 

 

Monday, April 03, 2023

मोहब्बत


 

तेल अवीव शहर के एक छोटे से बाजार से 

गुज़रते हुए इस बेंच पर नज़र पड़ी 

दिल से भरे इस बेंच को देख ख़ुशी हुई 

तभी किसी ने कहा, - देखा है उस आदमी को तुमने?

वो लोगों के दिल मिलाता है खुशियां बांटता है !

ये सुनकर सब हंस पड़े के टिंडर और शादी डॉट कॉम 

के होते  हुए आज के युग में ये सब?

मगर ये सच है इस शहर की दास्ताँ 

जहाँ एक आदमी लोगों के दिल जोड़ता है !


~ फ़िज़ा 

Sunday, April 02, 2023

तेल अवीव - इजराइल की दास्ताँ

 


पहुंचे थे यहाँ स्वयंसेवक बनकर,

कुछ न पता था जा रहे किधर ,

मिले कुछ अजनबियों से  वहाँ ,

जो स्वयंसेवक आये बनकर 

असफ नाम का गाइड आया 

सभी से मिला स्वागत करते हुए 

तेल अवीव के समुन्द्र तट पर गए 

कुछ शहर की जानकारी देते हुए 

असफ ने हमें उतारा समुन्द्र तट पर,

आये हो यहाँ तक तो कुछ काम करो 

समुद्र तट में पड़े प्लास्टिक को साफ़ करो 

मछलियों के पेट से होकर आते हमारे अंदर 

इंसान की फितरत को सुधारें आज नेकी से 

~ फ़िज़ा 


Saturday, April 01, 2023

स्वयंसेवक का ये सफर


 कुछ सपने देखने से पहले पूरे होते हैं 

ऐसा ही कुछ आजकल हुआ मेरे संग 

इजराइल के बारे में सुना तो था बहुत 

मगर वहां जाना और लोगों से मिलना 

सपने में भी नहीं कभी सोचा जाना वहां 

कुछ ने डर जताया और कुछ ने हैरानगी 

मगर दिल की सुनने के आदि जो हैं हम 

मुड़कर न देखा किसी को फिर चल दिए 

खुली आँखों से देखे नज़ारे मिले लोगों से 

ज़रूरतमंदों के संग बिताये पल खेले कूदे 

कहीं सब्ज़ज़ियाँ तोड़ी तो कहीं धान्य भरे 

अस्वस्थ बच्चों को जोकर बनकर हंसाया 

ज़मीन से जुड़कर ज़मीन के लोगों से मिले 

इंसानियत की हवा और प्यार वहां भी है 

हर जाती के लोग वहां भी हैं और खुश हैं 

बच्चों के दिलों को जोड़ने वाले इंसान 

डॉक्टर के रूप में कितनों को ठीक करते हैं 

ज़िन्दगी को ज़िंदगी के करीब आते देखा 

इस तरह इजराइल को नज़दीक से देखा 

एक सपना जो देखने से पहले पूरा हुआ 

स्वयंसेवक का ये सफर दिल बागबां हुआ !


~ फ़िज़ा 

Tuesday, March 07, 2023

बुरा न मानों होली है !!!!

 

सवेरे-सवेरे मीटिंग में जब सुना 

कल छुट्टी है क्यूंकि होली है 

मन ही मन होली के गुब्बारे 

रंगों से भरे दिल में फोड़ आये 

मैंने कहा खुद ही से अरे ,

बुरा न मानों होली है !!!!

~ फ़िज़ा 

Saturday, February 25, 2023

चैरिटी का चादर


 चैरिटी का नाम कुछ इस तरह 

इस्तेमाल करते हैं हर जगह 

मानों कोई एहसान जिस तरह 

मदत की उम्मीद करते है कभी 

दिलदार समझ कर ही आते हैं 

देने वाले का गुरुर जब देखते है 

चैरिटी का ओढ़ा चादर उससे 

निकलकर नंगा कर देता है 

कभी पैसा अँधा करता है

हर कहीं पैसे का शोशा है 

अमीर गरीब का खेला है !


~ फ़िज़ा 

Monday, February 20, 2023

उसके होंठों से


उसकी तलब या मेरी तड़प समझ लो 

उसके होंठों से लगे मेरे होंठ 

प्यास या हवस की व्याकुलता 

जब मिले, कण-कण से बुझाती तृष्णा 

होठों से होकर जुबां से गुज़रते हुए 

हलक से जब वो गरमा गरम 

गुज़रती है तो वो किसी 

कामोन्माद से कम नहीं 

ये एहसास सिर्फ अनुभव है 

आजमा के देखिये कभी !


~ फ़िज़ा 

खुदगर्ज़ मन

  आजकल मन बड़ा खुदगर्ज़ हो चला है  अकेले-अकेले में रहने को कह रहा है  फूल-पत्तियों में मन रमाने को कह रहा है  आजकल मन बड़ा खुदगर्ज़ हो चला है ! ...