स्वयंसेवक का ये सफर


 कुछ सपने देखने से पहले पूरे होते हैं 

ऐसा ही कुछ आजकल हुआ मेरे संग 

इजराइल के बारे में सुना तो था बहुत 

मगर वहां जाना और लोगों से मिलना 

सपने में भी नहीं कभी सोचा जाना वहां 

कुछ ने डर जताया और कुछ ने हैरानगी 

मगर दिल की सुनने के आदि जो हैं हम 

मुड़कर न देखा किसी को फिर चल दिए 

खुली आँखों से देखे नज़ारे मिले लोगों से 

ज़रूरतमंदों के संग बिताये पल खेले कूदे 

कहीं सब्ज़ज़ियाँ तोड़ी तो कहीं धान्य भरे 

अस्वस्थ बच्चों को जोकर बनकर हंसाया 

ज़मीन से जुड़कर ज़मीन के लोगों से मिले 

इंसानियत की हवा और प्यार वहां भी है 

हर जाती के लोग वहां भी हैं और खुश हैं 

बच्चों के दिलों को जोड़ने वाले इंसान 

डॉक्टर के रूप में कितनों को ठीक करते हैं 

ज़िन्दगी को ज़िंदगी के करीब आते देखा 

इस तरह इजराइल को नज़दीक से देखा 

एक सपना जो देखने से पहले पूरा हुआ 

स्वयंसेवक का ये सफर दिल बागबां हुआ !


~ फ़िज़ा 

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