गुमशुदा

बाहर सुनहरी धुप है मौसम भी ठीक है दिल कहीं मायूस गुमशुदा हो चला है कोई बात नहीं पर दिल नासाज़ सा है इस उदासी की वजह ढूंढ़कर भी नहीं मिला शायद बोरियत है रोज़ वही दिनचर्या वही लोग और सब वही घर से बाहर और बाहर से अंदर बस पंछियों पर है ध्यान अटका आजकल देखा कल ओक पेड़ पे दो घोसलों का निवास ख़ुशी हुई कितनों को है आसरा इस पेड़ से अब तो बस उन्हें देखते गुज़रता है वक्त सारा काम तो व्यस्त रखे मगर दिल कहीं खोया है ! ~ फ़िज़ा