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अधूरा लगता है....

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तुझ से बात नहीं होती तो अधूरा लगता है  तेरा साथ  ना हो तो सफर अधूरा लगता है  फिर भी जब ये बात केहता हूँ तो पूरा लगता है सेहर के साथ मेरी शाम ढले लगता है  शाम आते ही सेहर पास लगता है  इस सेहर और शाम के फासले दूर लगता है  कब ये अधूरा पूरा हो यही अब सोचने लगता है  सफर में हूँ पटना से इंदोर व्यस्त लगता है  सफर में हमसफर भी हो साथ अच्छा लगता है  सफर में धूप भी एक  नमी  सा लगता है  ~ फ़िज़ा 

खयालों में बस गया बिन बताये मेहमान.. :)

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उम्र गुज़ारेंगे हम कभी यहाँ तो  वहां कभी  अधूरी मुलाकाते भी होती है यहाँ बातें चंद ही हुई हसते-मुस्कुराते जहां  ज़िंदगी भर की निशानी ले चले यहाँ से वहां आधी मुलाकात, अधूरी बात मगर हैरान खयालों में बस गया बिन बताये मेहमान ऐसा क्यूं के दूर जाकर ही समझे कोई अधूरी ज़ुबान कैसे और कब कोई ना जाने अधूरे हुये मेहरबान सोचे 'फ़िज़ा' इस अधूरे-आधे इज़हार-ए- सुभान होती है पेहचान भले ही अधूरे दिल जवान ~ फ़िज़ा