तुझ से बात नहीं होती तो अधूरा लगता है
तेरा साथ ना हो तो सफर अधूरा लगता है
फिर भी जब ये बात केहता हूँ तो पूरा लगता है
सेहर के साथ मेरी शाम ढले लगता है
शाम आते ही सेहर पास लगता है
इस सेहर और शाम के फासले दूर लगता है
कब ये अधूरा पूरा हो यही अब सोचने लगता है
सफर में हूँ पटना से इंदोर व्यस्त लगता है
सफर में हमसफर भी हो साथ अच्छा लगता है
सफर में धूप भी एक नमी सा लगता है
~ फ़िज़ा
No comments:
Post a Comment