मुझ से मोहब्बत को मोहब्बत है
ये जानते हुये भी के मुझे मोहब्बत है
कैसे ना रोक पाऊँ अपने आपको, मोहब्बत है
जो भी प्यार से मिले मुझे मोहब्बत है
क्यूं मन पिघलता है जब मोहब्बत है?
कैसा ये असर है कैसा खुमार ये मोहब्बत है ….
~ फ़िज़ा
ऐसा था कभी अपने थे सभी, हसींन लम्हें खुशियों का जहाँ ! राह में मिलीं कुछ तारिखियाँ, पलकों में नमीं आँखों में धुआँ !! एक आस बंधी हैं, दिल को है यकीन एक रोज़ तो होगी सेहर यहाँ !
मैं तो इस पल का राही हूँ इस पल के बाद कहीं और ! एक मेरा वक़्त है आता जब जकड लेता हूँ उस पल को ! कौन केहता है ये पल मेरा नहीं मुझे इस पल ...
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