Sunday, June 20, 2021

पितृ-दिवस की शुभकामनाएं - अच्चा


 

पिता की उंगली पकड़ कर चलना 

ये तो पैदा होते ही सिखाया माँ ने 


उंगली पकड़ते चलते सँभलते हुए 

हर इच्छाएं मेरी पूरी की हमेशा से 


कभी किसी बात से डर भी होता

तो पिता की आड़ में रहकर कहते 


जब कोई बात मनवानी हो माँ को  

पिता के नाम का ही डर जताती वो  


हर-उतार चढाव में ज़िन्दगी के मेरे 

एक हौसला, साथी ढाल बनके रहे 


वो शख्स जिसे सिर्फ याद करने से 

दुनिया भर की खुशियां हौसले मिले 


~ फ़िज़ा 

2 comments:

रवीन्द्र भारद्वाज said...

वाह...सुंदर भाव

Dawn said...

Dhanyawaad 🙏

ज़िन्दगी जीने के लिए है

कल रात बड़ी गहरी गुफ्तगू रही  ज़िन्दगी क्या है? क्या कुछ करना है  देखा जाए तो खाना, मौज करना है  फिर कहाँ कैसे गुमराह हो गए सब  क्या ऐसे ही जी...