बहारों का चमन है
नज़ारों का गमन है
ऐसे में गुमसुम ही
लहराता नेहर है
जो सब देखता है
सुनता सुनाता है
संगीत की धुन में
कुछ कहा जाता है
कुछ देर ठहर कर
मैंने भी सुनना चाहा
हर धुन में कहा रही
दास्तां सदियों की
धीरे बढ़ो तुम धीरे
मगर धैर्य मत खोना
ये वक़्त है ठहरा कभी
किसी के लिए नहीं
मगर तुम ठहर सको तो
ठहरो, ये धुन हैं नयी
कुछ गुनगुना सको तो
वो भी सही, न तो वो भी
नज़ारों के लिए नज़र
और ख़ुशी के लिए खुद
ज़िन्दगी ज़िंदा रहना है
ज़िंदादिली रेहना ज़िन्दगी है
बहारों का चमन है
नज़ारों का गमन है
ऐसे में गुमसुम ही
लहराता नेहर है
~ फ़िज़ा
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