Sunday, April 12, 2020

वैसे यहाँ कोई दूसरा चारा न था ...!

बीस घंटे पहली बार सफर करे 
और परेशानियों से लदा दिमाग,
तो नींद के सिवाय क्या सूझे ?
डेज-इन् कमरे में नींद ने आ घेरा 
परेशानियों को कल पे टाल दिया 
कब आँख लगी पता भी नहीं चला 
और नींद ने जप्त किया आगोश में यूँ 
सेहर तैयार हुई कॉफ़ी की चुस्की संग 
वकालत के किताब की भांति अख़बार 
बैठ गए ढूंढ़ने नौकरी और किराया घर
जैसे-तैसे फ़ोन पर हुई पादरी से बात 
जांच पड़ताल और हुई कई बातचीत  
अवसरवादी ही नज़र आये दोनों ओर 
वैसे यहाँ कोई दूसरा चारा न था 
पास में जेबखर्चा भी तो नहीं था 
चल दिए सफर पर जो ठीक लगा 
सफर लम्बा येशु की कहानियों से 
जैसे पहुंचे घर होमवुड, नॉर्थ योर्क 
प्रार्थना से लगे धर्म का उपदेश देने 
जहाँ येशु भी न रोक सका जेट-लाग् 
गए बेसमेंट में सोने जहाँ बिस्तर था 
छोटी खिड़की जो सड़क दिखाती हुई
कमरे के बाहर रसोई और बैठक-कक्ष 
जहाँ हम नहीं यमुना का निवास था
ऐसे मुलाकात हुई हमारी यमुना संग  !

फ़िज़ा  

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