इस तरह कैसे एक महीना बीत गया,
येशु की कृपा मेरा काम और घर के काम
सभी में व्यस्त रहते हुए भी ज़िन्दगी उदास
मुझ से जो प्यार से बातें किया करते थे
पादरी अब धीर-गंभीर हो गए एक बदलाव
पादरी की बीवी बहुत ज्यादा प्यार जताती
उनकी बेटी को पढ़ाई में मदत करने के लिए
मुझ से कहा ट्यूशन दिया करो गणित में
आये दिन माँ -बेटी की घमासान लड़ाई
कभी मैं बेटी को समझती के माँ को उल्टा जवाब न दो
तो कभी पादरी की बीवी से के यहाँ बच्चों पर हाथ न उठाओ
बच्चे पुलिस बुलवालेते हैं अपने माता-पिता पर
और बुलाते कैसे नहीं जब माँ गरम चिमटे से मारती
कुछ हाथ नहीं आया तो बेटी के लम्बे बाल ही खेंचती
जैसे-तैसे झगड़े रुकवाए मेरी ट्युशंगीरी भी उतनी बढ़ी
ट्यूशन के पैसे या फिर अनुवाद के पैसे में प्रभु येशु आ जाते
महीना ख़त्म होने से पहले किराया मगर पूछ लिया
खैर इन सब के बीच मेरी पहली तन्ख्वाव मिली
महीने के २७५ डॉलर आते ही २५० किराया गया
जो बचा उस से बस के टिकिट खरीदे बस
इसी बीच कंपनी ने कहा चेक का खर्चा होता है
अपनी एक बैंक में खाता खुलवालो ताके तन्ख्वाव वहां पहुंचे
किसी ने कहा टी डी बैंक अच्छी बैंक हैं अकाउंट खुलवालो
बस क्या था हम वहां पहुंचे एक देसी महिला थी अडवानी
हाल-चाल पूछने के बाद अकाउंट खोलने के औपचारिकताएं पूरी हुईं
उन्होंने कहा खाता खुल गया महीने के पांच डॉलर फीस देनी होगी
भारत में तो कभी बैंक अकाउंट में अपने पैसे रखने की फीस नहीं दी
फीस किस बात के देने हैं? मेरे अपने पैसे तुम्हारे बैंक में रखने के ?
श्रीमती अडवानी ने कहा बैंक तुम्हारे पैसे की हिफाजत करता है
इसके फीस लगते हैं और जितने बार पैसे निकलोगे उसके भी
बड़ा कठिन लगा ये व्यवहार के एक तो कम पैसे उसे रखने के भी पैसे?
नयी जगह के नये तौर-तरीके यहीं से सीखने शुरू हुए !
~ फ़िज़ा
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