वो रात कुछ अजीब थी ..!



वो रात कुछ अजीब थी 
जाने अनजाने डरी हुई
आप्रवासन अध्यक्ष बुलाकर 
जांच-पड़ताल के बाद कहती 
इंतज़ार करो मेरे बुलाने का 
शायद जाना पड़ेगा वापस !
इस सोच में थी मैं के आये हैं 
विमानस्थल तो देख जायेंगे 
ज्यादा सोचने का वक्त न देते हुए 
महिला अध्यक्ष ने ठप्पा लगाया 
वीसा पर -आपका स्वागत है कनाडा में !
समय बड़ा अजीब था हड़बड़ाये हम  
कुछ सोचने या समझने का अवसर 
था ही नहीं तब बस चल दिए अंदर 
सामान बटोरकर बैठ गए एक तरफ 
सेहर का इंतज़ार था अजनबी से मिल गए !
कहा छोड़ देता हूँ रास्ते जो तुम कहो 
गाडी आती है भैया की सोच लो  
अनजानी रात, शहर और ये आलम 
सोचने लगे क्या कहकर टालें ये ऑफर 
हमने भी तुनक्कर कहा यहीं ठहरेंगे 
सेहर आते ही अमेरिका चले जायेंगे !
बन्दे ने होटलों के नाम गिनाये फिर  
कहा यहाँ ठहर सकते हो रात-भर 
खाली विमानस्थल और सन्नाटे से भीत 
कहा सुझाओ कोई अच्छी जगह रहने की 
डेज इन् पर कमरा बुक करवाया और 
विजिटिंग कार्ड देकर अलविदा कह लिए 
और हम उस रात होटल में रेहा लिए !!!

~ फ़िज़ा 

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