करोना मेरी किस्मत


उसको मैं तकता रहा यूँही 
लगा सालों बीत गए यूँही 
दिल के अरमान रहे जवां 
बस ख्यालों में जुड़ा रहा 
हर पल रहा उसके संग 
उठता-बैठता ख्यालों में 
एक पल भी न रहा दूर 
फिर ख़याल आया मुझे 
क्यों न प्रोपोज़ ही करदूँ 
यही सोचते-सोचते मैंने 
बात उससे करने की ठानी 
बस इसी ख़याल में था मैं 
के कोरोना ने मेरा ये सपना 
साकार होने से रोक दिया 
अब न वो दिखती है मुझे  
और न ही उसकी वो चमक 
क्यूंकि हरदम वो उस मुये 
मास्क से चिपकी रहती है ! 

~ फ़िज़ा  

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