Sunday, April 19, 2020

यही ईश्वर की चाह है यही है उसका मार्ग !



गिरिजाघर में बहुतों से मिली,
पादरी ने नाम जो लिया था,
हर कोई उत्सुक था मेरी कहानी सुनने 
जिस किसी ने बात की हाथ मिलकर ,
उन सभी को बायोडाटा थमा दी हाथ में 
कहा कृपया अपने दफ्तर में देखिएगा 
मेरे लायक कोई भी नौकरी जो मिल सके,
ऐसे ही समय एक नए पादरी से मुलाकात हुई 
उनकी बीवी जो थी नर्स और छोटी बच्ची से मिली 
उनकी उदारता और हमदर्दी देख समझ गयी जल्दी 
वो चाहते थे मैं उनके घर रहूं इस पादरी को छोड़ दूँ 
कहने लगे बिना नौकरी कोई कैसे किराया ले,
रहना मुफ्त हमारे घर बिना किसी झिझक के ,
'मुफ्त' की बात से याद आया कभी पढ़ा था 
कुछ भी मुफ्त नहीं होता कीमत सबकी होती है 
उनकी सहानुभूति के लिए धन्यवाद् कहा और 
नौकरी हो सके तो कृपया इतनी मदत अच्छी होगी,
आंटी कुछ समझ गयी आवेश से हमें देख लिया,
ये समझते देर नहीं लगी की हमारी श्यामत आयी 
गाडी में सब चुप-चाप थे और हम भी कुछ न बोले 
अचानक आंटी ने पुछा क्या कहा रहा था वो पादरी?
ईश्वर की कृपा हम पे होती है उसे रास नहीं आता 
बिना किसी कांट -छांट के हमने भी केहा दिया सब 
आंटी झल्लायी ये पादरी हमसे छीन रहा है देखो 
बीवी को ग़ुस्सा होते देख पादरी को भी ग़ुस्सा आया 
घर पहुंचकर भोजन किया बच्चों के जाते ही बात हुई 
पादरी ने पुछा क्या सोचा है तुमने क्या है इरादा तुम्हारा,
स्वाभिमानी होकर हमने भी कहा जुबां की पक्की हूँ मैं 
कहीं नहीं जाना मुझे यहाँ किराया देखकर भी रहूंगी मैं 
पादरी ने सुनकर कहा देखो मेरी पत्नी बीमार रहती है 
तुम्हारे जाने का झटका वो सेहन न कर पायेगी 
कल उसे कुछ हुआ तो ये तुम्हारी ज़िम्मेदारी होगी 
ये सुनकर तो लगा जैसे भावनात्मक धमकी है 
मगर नए पादरी को परखने और समझने की क्षमता नहीं 
वादा किया नहीं जायेंगे छोड़के रहेंगे सदा वहीँ 
पादरी को जाना था भारत सो दे गए हमें काम 
अनुवाद करो मेरी कवितायेँ अन्य भाषाओँ में 
यही ईश्वर की चाह है यही है उसका मार्ग !

~ फ़िज़ा 

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