मन का अँधेरा



दिया जलाकर उसने 
अँधेरा लाख मिटाना 
चाहा,
कहीं से तो रौशनी 
आये तो किस्मत का 
हो खुलासा,
मगर बाहर का अँधेरा 
मिटाकर उजाला भी 
किया तो,
उस अँधेरे का क्या 
जो अन्दर से अन्धकार 
में है ढला !

~ फ़िज़ा 

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