Monday, April 27, 2020

येशु के मार्ग-दर्शन में ...




टॉम अपनी गाडी लेकर मुझे लेने आया 
टॉम के बारे में कुछ कहूं तो क्या कहूं? 
कभी  बातें करने का मौका ही नहीं मिला 
जब भी मैं रसोई में होती वो आता पूछने 
आप विवाहित हो ? लगता नहीं, झूट बोलते हैं  !
मुझे कभी इस सवाल का जवाब देना नहीं पड़ा 
क्यूंकि बीच में पादरी की बीवी आ जाती थीं 
ग़ुस्से से बेटे को अपने कमरे में जाने कहतीं 
और मुझ से कहतीं यहाँ के बच्चे सभी बिगड़े हैं 
मैं हंसती और बस काम में व्यस्त हो जाती 
आज पहली बार इस तरह अकेले टॉम को भेजा 
ताज्जुब भी लगा और हैरानियत भी हुई उसे देख 
गाडी में बैठने के बाद मैंने शुक्रिया इजहार किया 
और टॉम ने बड़े सलीके से कहा यहाँ इतनी रात 
सुरक्षित नहीं हैं इसीलिए संभालना ज़रूर आगे से 
चुप-चाप सारे रस्ते हम घर पहुंचे रात के १२ बजे थे 
पादरी की बीवी नाराज़ थीं उन्हें पसंद नहीं आया,
रात को देर से आना ठीक नहीं मगर मेरी नौकरी भी तो 
पादरी और उनकी बीवी की सोच ज़रा अलग थी 
पादरी कहते ऐसी नौकरी नहीं चाहिए येशु देख लेगा सब 
पादरी की बीवी कहती नौकरी तो ज़रूरी है मगर..!
भारत में औरतों को देर काम पर रखना नियमविरुद्ध है  
यहाँ सभी बराबर के हिस्से में हैं ऐसा महसूस होता 
इसी बीच पादरी मुझे एक हिंदी भाषी के घर ले गए 
यहाँ पर स्त्री हिन्दू से पेंटिकोस्टल क्रिस्चियन बन गयी 
मगर पति हिन्दू धर्म ही अपनाना चाहते थे एक घर में 
मुझे मिलाया गया उनसे  और कहा गया किस तरह 
वो ग़लत राह से येशु के मार्ग पर आकर खुश हैं 
अपने पति के मुर्तिपुजन पर आपत्ति जताते हुए 
वो बहुत दुखी प्रकट आयीं और मैं सिर्फ सुनते रही 
शाम की चाय-नाश्ते बाद जब हम निकले घर की ओर 
पादरी ने फिर धर्म-उपदेश देना शुरू किया और कहा 
तुम्हें कुछ करना नहीं है सिवाय हामी भरने की 
तुम्हें ईसाई दीक्षा अनुसार धर्म बदलने में मदत करूँगा 
तुम येशु के मार्ग-दर्शन में कदम रखते ही सब कुछ पा लोगी 
उम्र का लिहाज़ और फिर मेरे मकान-मालिक होने की वजह से 
मैंने हँसते हुए कहा के ठीक हैं करेंगे देखे येशु तो पैसे देते नहीं 
किराया तो आप मॉफ करते नहीं फिर जो नौकरी तनख्वा देती है 
उस से तो कम से कम मुझे निष्ठा रखने से न रोको 
कुछ नहीं तो मैं अब आपका किराया तो दे पाती हूँ ?
पादरी को बात कुछ जची नहीं वो नया पैंतरा सोचने लगे !

~ फ़िज़ा 

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