Thursday, April 23, 2020

शाम भयानक सी रूप में बदल गई..


मेरा पहला उन्मुखीकरण एक नए देश में 
मैं उत्सुक और उत्साहित दोनों ही थी 
हर एक निगम का का चेहरा होता है 
उन्मुखीकरण एक अच्छा जरिया है
नयी शुरुवात करने का अवसर है 
ये तुम्हारी उम्मीदों को बढ़ावा देता है 
किस तरह तुम तरक्की करोगे उनके संग 
मुझे यकीं है हम सभी ऐसा ख्वाब देखते हैं 
और मैंने भी देखा !
उस शाम महाराष्ट्रियन महिला संग बिता,
शहर के बीचोबीच किंग स्ट्रीट में रहती थी 
पते के अनुसार मैं पहुँच गयी थी सही जगह 
दस्तख दी दरवाजे पर और महिला को देखा,
उसकी नौ साल की बेटी भी संग थी 
एक बहुत ही अच्छी श्याम गुज़री थी 
मैं शुक्रगुज़ार थी खूसबसुरत शाम के लिए 
रात बहुत देर तक महिला ने अपने घर रखा 
मुझे घर पहुँचने में बहुत देर होगयी इस वजह  
रात बिलकुल गहरा अँधेरा सा था 
मुझे डरना तो नहीं चाहिए फिर भी मैं डर रही थी 
घर की चाबी से दरवाजा खोला और अंदर देखा 
पादरी की बीवी जागी थी और पूछने लगी 
कहाँ गयी थी? इतनी रात सफर करने डर नहीं लगता?
मुझे तुम्हें चौक्कन्ना कर देना चाहिए ये टोरंटो शहर है 
जहाँ पॉल बेर्नाडो जैसे इंसान रहते हैं 
वो रात बिलकुल भयानक सी रूप में बदल गई
अपने बिस्तर पर आकर दरवाजा बंद कर लिया 
येशु मुझे घुर रहे थे और में उन्हें !

~ फ़िज़ा 

No comments:

करो न भेदभाव हो स्त्री या पुरुष !

  ज़िन्दगी की रीत कुछ यूँ है  असंतुलन ही इसकी नींव है ! लड़कियाँ आगे हों पढ़ाई में  भेदभाव उनके संग ज्यादा रहे ! बिना सहायता जान लड़ायें खेल में...