जीवन में साथी की कमी नहीं हुई
न ही कभी किसी बेहना की कमी
संग मेरी बिटिया जो थी हर पल
दोस्त की तरह, दो राहों की तरह
संग चले उबड़-खाबड़ डगरों से
मगर हमेशा हँसते-खेलते रहे
जीवन इसी का नाम है और यूँही
कब वक़्त गुज़रा भनक भी न हुई
हर साल, शुरू के सालों से गुज़रता है
यही साल हरबार फिर नया लगता है
जाने कैसे बीत गया ये वक्त भी ऐसे
जो ठहरा सा लगा ही नहीं कभी वैसे
खुशियों को कहाँ छुपाये रखते हैं सब
बेटियों के रूप में खिलतीं हैं जहाँ में
जन्मदिन तो हर साल मनाया जायेगा
हम तो उस जन्मदिन को याद रखते हैं
जो पैदा होते ही हमें माँ की एहमियत
सीखा गयी !
जन्मदिन की शुभकामनाएं रिया !
~ फ़िज़ा
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