एक संपूर्ण दिन था रविवार का,
सुबह से श्याम तक के नाटक,
फिर रात का खाना और बर्तन ,
थकान बहुत थी सो चल दिए सोने,
देर रात यमुना का आगमन हुआ ,
फुसफुसाते पुछा जगी हो क्या ?
यमुना को देख बहुत उत्साहित हुए
देखा जो न था उसे बहुत दिनों तक ,
ख़ुशी से उठे जब उसने कहा शांत
तहखाने में रहते हैं हम इस वजह से
ऊपर हमारी सब आवाज़ पहुंचती है
यमुना का वीकेंड सोमवार होता है
कहा चलो निकल चलते हैं इस घर से
ताकि कुछ पल जी लेते हैं दोस्ती के
गर तुम रही यहाँ पादरी की संगत में,
पगला तो जाओगी मगर नौकरी से भी,
मुझे भी बात सही लगी और होगयी राज़ी
सोते हुए कह गयी बायोडाटा तैयार रखना
सभी के उठने से पहले निकलना है हमें
घुमाएंगे तुम्हें टोरंटो कल चलना संग
ले जायेंगे तुम्हें Eaton सेण्टर कल,
करेंगे मस्ती घूमेंगे संग हज़ार वहीँ
~ फ़िज़ा
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