Wednesday, April 29, 2020

"मैं हूँ भी और नहीं भी "!



दुबले-पतले सांवले से रूप में 
बड़ी-बड़ी आँखों से कहने-सुनने वाले 
तन के जैसे भी थे तुम मन के धनी रहे 
गहराई में जा बैठे हैं सभी के दिल में 
किरदार के अंदर घुसकर रेहा जानेवाले 
बहुत कम होते हैं मगर तुम नहीं न रहे 
अदाओं से अभिनय से आवाज़ से कातिल 
खो दिया संसार ने तुम्हें अब भी नहीं यकीन 
अफ़सोस न देख पाएंगे नए किरदार तुम्हारे 
नए चोंचले नए सहारे नए करतूतों से हँसते हँसाते 
एक दिव्यचरित्र भांति सदियाँ याद रखेंगी 
शुन्य स्थान रहगया अभिनय जगत में इरफ़ान 
ठीक ही कहा गए आखिर तुम "मैं हूँ भी और नहीं भी "!

~ फ़िज़ा 

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