बैंक में खाता खुल गया और
चैक किराये का पादरी को दे दिया
चैक लेते वक़्त पादरी ने कहा ये है
येशु की महिमा अपरम्पार प्रेस डा लार्ड !
उसके बाद उन्होंने प्रार्थना करने बुलाया
सारा परिवार था वहां प्रार्थना करने
बाद में अकेले में बुलाकर पादरी ने कहा
मैं भारत के लिए रवाना हो रहा हूँ परसों
तुम्हें वादा करना होगा के इस बीच तुम
दूसरे पादरी के फ़ोन पर वहाँ नहीं जाओगी
मैं हैरान-परेशान के ये विषय अब भी विषय है?
खैर मैंने पुछा क्या हुआ पादरी जी ऐसा क्यों?
कहने लगे मेरी बीवी बीमार रहती है और वो
ये सदमा बरदाश्त नहीं कर सकती तुम्हें जाना है
तो अभी निकल जाओ न के मेरे जाने के बाद !
मेरा अपना कोई ऐसा इरादा नहीं था और
मैंने तो पहले ही ज़बान भी दी थी के मैं हूँ
फिर ये सवाल क्यों?
पादरी ने कहा जाने से पहले तुमसे ये वादा चाहिए
मैंने भी निवांत होकर लौटने की शुभकामना दी
उसके बाद पादरी काफी ख़ुशी-ख़ुशी भारत गए
यहाँ हम रोज़ मर्रा की ज़िन्दगी जीने लगे
तब दूसरे पादरी का फ़ोन अचानक से आया
मानों मैंने ही उन्हें बुलाने के लिए कहा हो
पादरी की बीवी ने फ़ोन देते हुए कहा
क्या तुमने उस पादरी से फ़ोन करने कहा था?
अब मैं इन पादरियों के बीच फूटबाल बन गयी
मैंने मना किया तो कहा बात नहीं करोगी तो
वो समझेंगे मैंने जानकर फ़ोन नहीं दिया तुम्हें!
बंदी करे तो क्या करे और क्या न करे?
फ़ोन पर बात हुई और वहां से दावत का न्योता
जो भी हो स्तिथि की गंभीरता को जानते हुए
मैंने मना कर दिया और इस तरह से कहा के
पादरी की बीवी को सुनाई भी दिया सही से
पादरी की बीवी खुश हुई उस दिन बड़ा प्यार दिया
वक़्त बीत रहा था टॉम के रसोई में आते ही
पादरी की बीवी उसे वापिस अपने कमरे में भेज देती
पादरी की बेटी मुझे अपना हमदर्द मानकर
मुझे अपनी गायकी, अपनी पसंद-नापसंद
सब कुछ कहा देती मैं सोचती हम सब एक जैसे ही हैं
इसी बीच पादरी की बेटी ने मुझ से कहा
तुम और मुझ में ज्यादा फर्क नहीं है दिखने में
क्या तुम मेरा पहचान पत्र लेकर परीक्षा दोगी ?
गणित पढ़ाना तो ठीक था बिना फीस के
मगर ये क्या मुझे तो जेल भेजने की योजना?
खैर मैंने सलीके से कहा देखो मेहनत कर के आयी हूँ
यहाँ तक आकर मैं जेल नहीं जाना चाहती
अच्छे से पढ़ो और परीक्षा दो सब ठीक होगा
बच्ची १३ साल की थी मगर सहेली सी थी
मुझे हमेशा उदास, शांत देख एक दिन पूछ बैठी
मेरे साथ चलोगी कुछ दिखाना है तुम्हें
मैंने कहा तुम्हारी मम्मी मना तो नहीं करेंगीं?
कहने लगी नहीं उनका उस दिन काम है
हम दोनों साथ चलेंगे बस किसी से कहना नहीं
उस दोपहर मैं और पादरी की बेटी दोनों चले
पहले टी टी सी बस फिर, सबवे, स्ट्रीटकार
इस सब के बीच में वो कहतीं हैं के आपने देखा उसे?
मैंने हैरान होकर पुछा किसे?
लेस्बियन जो बैठी थी आपके पास उसे
लेस्बियन (समलैंगिक)? वो कैसे पता चलता है ?
मैंने तो किसी को नहीं देखा ऐसे !
~ फ़िज़ा
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