अगले दिन सब कुछ वैसा ही था
सामान्य जैसे, नाश्ता और सफाई
बैठक कक्ष में प्रार्थना की तैयारी
सलाह मिला ईश्वर की राह में चलो
और ज्यादा यमुना के संग न फिरो
अजीब सा लग रहा था जैसे पिंजरे में
तभी एक फ़ोन आया मोवेनपिक से
पादरी के घर का नंबर दिया था उन्हें
वे मिलना चाहते थे उसी दोपहर को
हड़बड़ाहट थी के जल्दी पहुँचाना है
तभी पादरी को लगा ये सब ठीक नहीं
जल्दी तैयार हुई और फिंच की बस पकड़ी
फिंच से डंडास और वहां से Eaton सेण्टर
उम्मीद नहीं थी पर वक़्त पर पहुँच गयी
मैनेजर ने स्वागत किया और हाथ मिलाया
फिर रेस्टोरेंट के पीछे अपने संग ले चली
सीढ़ियों पर बैठाया और खुद भी बैठीं वो
जैसा की होता है साक्षात्कार भी हुआ और
हमने भी पेशेवर की तरह जवाब दिए सब ,
केशियर की नौकरी मिल ही गयी आखिर
प्रति घंटे के न्यूनतम मजदूरी पर तनख्वा
काम करने के दिन मुझे कोई काम नहीं
सप्ताहांत के दो दिन सिर्फ काम होगा
दुःख हुआ के इतनी मेहनत का फल ये
उम्मीद नहीं खोयी बाकी के पांच दिनों की
अगले दिन से उन्मुखीकरण पर जाना था
मगर उस रात यमुना का इंतज़ार किया
यमुना काम से बहुत थकी सी नज़र आयी
मगर आते ही फ़ोन आने की खबर ली
मैंने भी तपाक से पुछा बूझो तो कहाँ से ?
खुश थी वो मेरे लिए और मेरे फैसलों से
के मैंने बायोडाटा मोवेनपिक में भी दिया
फिर,
मेरे कुछ कहने से पहले यमुना ने पुछा
तो फिर क्या कहा? बात नहीं करना मुझे से ?
मैं हैरान, पूछ बैठी कैसे जानती हो ये सब?
यमुना हंसकर बोली मेरे साथ भी किया ऐसा
मैं कैथोलिक हूँ अपनी ज़िन्दगी से खुश हूँ
जब भी पादरी धर्म का उपदेश देते मुझे,
मैं अपनी पार्टियों की तस्वीर दिखाती
तब तक तो उनकी पत्नी उन्हें बुला ले जाती
उनकी समझ मैं बुरी हूँ खुदा के पथ पर नहीं
जो भी हो मैंने सबकुछ कहा दिया यमुना से
बात की गंभीरता को मैं अब भी नहीं समझी
जब तक यमुना अपने संपर्क साधन देने लगी
मुझे इल्म नहीं था क्या हो रहा है मेरे साथ
मेरे पास भारत से लायी फ़ोन की डायरी थी
हर किसी के संपर्क करने की जानकारी थी
जाने कब कौन आ जाये बचाव के लिए !
~ फ़िज़ा
No comments:
Post a Comment