मौसम की हलकी बूँदें
करोना की भारी बंदिशें
अरमान होते नहीं कभी पूरे
खवाब ही सही खवाब के
बादलों की उदास साजिशें
मगर दिल की आजमाइशें
इन सभी की हो रही रंजिशें
मगर मोहब्बत का क्या है
हर तरफ गुलाबी-गुलाबी
कब पूरी होतीं हैं गुंजाइशें
जब बुलंद हैं आजमाइशें
करोना लाये नयी बंदिशें !
~ फ़िज़ा
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