Wednesday, April 15, 2020

येशु के काम में भाग्य मिलेगा और बरकत...!


शनिवार का दिन और यमुना काम में व्यस्त 
सोचा था वीकेंड वक्त बिताएंगे, संग बतियांएगे ,
मगर कुछ काम छुट्टियों के मोहताज नहीं,
जब काम के घंटे के हिसाब से हो तनख्वा,
खैर कोई चारा भी तो नहीं था मेरे पास,
सिवाय बाइबिल, पादरी परिवार के क्या था,
नाश्ता हो चूका था और बर्तन भी धो दिए थे,
सिखाया भी तो यही जाता है घर में मदत करो,
पादरी और बीवी बात-चीत पर उतर आये,
येशु के काम  में भाग्य मिलेगा और बरकत,
पूछने लगे क्या कविताओं का अनुवाद करोगी ?
एक से ज्यादा भाषा मेरे बायोडाटा में देखा था 
मुझे ये एक काम से कम नहीं लगा था 
इसीलिए भी पूछ लिया रोजगार मिलेगा?
खुदा के काम के कभी पैसे नहीं मांगते,
उनकी ख़ुशी को सही जानकर राज़ी हुई 
चंद पंक्तियों को हिंदी में लिखना शुरू किया 
तभी नज़र सामने पड़े कंप्यूटर पर पड़ी 
पूछ लिया क्या मैं इस्तेमाल कर सकती हूँ 
क्यूंकि उनकी बात से मैं राज़ी तो वो भी राज़ी 
जल्द ही अपना बायोडाटा बना लिया वहां,
तब तक दोपहर हो चुकी थी खाने का वक़्त था 
पादरी की बीवी को आंटी केहकर बुलाती थी 
वो अपने बच्चों की तारीफ़ में कुछ नहीं कहती 
कहना था उनका कनाडा छूट देती है बच्चों को 
जान गई थी की वो ज्यादा खुश नहीं थी 
मगर एक मेहनती नर्स थी २५ साल से 
मधुमेह और रक्तचाप से संघर्ष करती 
फिर भी कभी काम से छुट्टी नहीं लेती 
ज़िन्दगी भर के लिए इज्जत पा लिया
पर मुझे घर के काम-काज में लगा दिया 
सब्जियां कटवाती तो कभी नारियल कस्वाति 
बर्तन साफ़ करवाती और हरदम साथ चाहती 
कभी न ख़त्म होने की मानो एक कथा सी लगती 

~ फ़िज़ा 

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