Friday, April 19, 2019

कोई बुलाता है मुझे...!




कोई बुलाता है दूर मुझे ऐसे 
लेना चाहता हो आगोश में
कहता है कुछ जो रहस्य है 
बचाना चाहता है इस जहाँ से 
कहता है छोड़ दो इसे यहाँ 
ज़रुरत है मेरी कहीं और वहां
छोड़ दे ये जग है बेगाना 
यहाँ नहीं कोई जो अपना  
सागर की लहरें कहतीं है 
बार-बार दहाड़ -दहाड़ कर 
के चले भी आओ संग हमारे 
ले चलेंगे दूर लहरों के सहारे 
और फिर छोड़ आएंगे उस छोर 
नयी दुनिया नया ज़माना फिर 
इस जहाँ से अलग हैं लोग वहां 
प्राणी को प्राणी से परखते हैं 
न ऊंच-नीच न जाती-पाती 
सब समान एक जुट साथी 
लहरों को तरह मचलते 
हँसते-खेलते और लौट जाते 
चलो, चलो संग हमारे वहां 
तनहा कोई नहीं रहता वहां 
कोई बुलाता है दूर मुझे ऐसे 
लेना चाहता हो आगोश में
कहता है कुछ जो रहस्य है 
बचाना चाहता है इस जहाँ से 

~ फ़िज़ा 

2 comments:

Harpreet Babbu said...

Bohat khoob Usha ji.

Dawn said...

Dhanyawaad

Garmi

  Subha ki yaatra mandir ya masjid ki thi, Dhup se tapti zameen pairon mein chaale, Suraj apni charam seema par nirdharit raha, Gala sukha t...