कुछ ख्वाब देखे रखे सिरहाने
कुछ दिनों बाद फिर लगे लरजने
कुछ-कुछ है याद रूमानी बातें
वो सुलझी हुई लटें और बिखरे बादल
वो पानी का बरसना ठंड से सिमटना
साँसों की गर्मी और फिर रूमानी हो जाना
कैसे धुंधले हैं यादें जो कभी रखे थे सिरहाने
लगे कुछ गिले जुल्फों के तले आज
याद आये वो पल भी गुदगुदाने के बहाने
कुछ नज़रें मिलीं कुछ यादें संजोए
फिर निकल पड़ी लहरों को सजाने
मतवाले चंचल बेज़ुबान दिल
~ फ़िज़ा
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