दो-नाव में सवारी न करो तो ही अच्छा है...!!!


ऐसा भी एक वक़्त आता है 
के कोई वक़्त नहीं रहता है 
हर एक की कोशिश होती है 
फिर कोशिशें भी बेकार होती है 
हर तरफ से हौसला रखते हैं 
फिर हौसले को दफा करते हैं 
हर बार अच्छाई को सोचते हैं 
फिर उसकी भी कमी नहीं होती है 
सोचने को तो हर कोई सब कुछ कर सकता है 
सोचना ही छोड़दे तो किसका भला है 
सच्चा-झूठा का भी वक़्त निकल जाता है 
बस आर-रहो या पार ऐसा वक़्त आता है 
किसी ने सच ही कहा, जब भी कहा है 
दो-नाव में सवारी न करो तो ही अच्छा है !!!

~ फ़िज़ा 

Comments

Popular posts from this blog

मगर ये ग़ुस्सा?

फिर बचपन सा जीना चाहती हूँ...

प्रकृति का नियम