उसने फूल भेजे थे पिछले इतवार
मैंने सोचा चलो नयी है शुरुवात
हर पल यही दुआ रही रहे साथ
न हो खट -पट न हो बुरी बात
जैसे गुज़रा दिन डर भी रहा साथ
सोमवार से शुक्र तक गुज़री ये रात
आया शनिवार बदला मौसम हुई बरसात
फिर आया इतवार तब समझी ये बात
पुष्पांजलि लेके आये थे देने मुझे इस बार
मैं ही पागल थी, समझी नहीं पुष्पांजलि है मेरी सौगात !
~ फ़िज़ा
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