पृथ्वी दिवस की शुभकामनाएं !




फूलों से कलियों से 
सुनी है कई बार दास्ताँ 
खुशहाल हो मेरा जहाँ 
तो खुश हूँ मैं भी वहां 
जब पड़ती है एक चोट 
सीने में मेरे वृक्ष्य के तब 
जड़ से लेकर कली तक
गुज़र कर चलती है दर्द 
जिसे लग जाता है वक्त 
ज़ख्म भरने में और बढ़नेमें 
फूल अच्छे लगते हैं सभी को 
हमारी जड़ों को रखें सलामत 
हम और तुम रहे आबाद यूँही 
सोचो गर यही हाल कोई करे 
तुम्हारा या तुम्हारे वंश का 
खत्म होगा जीवन इस गृह का 
सही समय से सीख लें हम 
करें पालन सयम का और 
जीएं और जीने दें सभी को 
क्या तेरा क्या मेरा जो ले जाए 
आज है तो कल नहीं बस 
पल भर का ये साथ है अपना 
चलो मिलकर वृक्ष लगाएं हम 
अपने लिए स्वस्थ वातावरण 
और इनके लिए कुछ जंगलें 
पृथ्वी दिवस की शुभकामनाएं !

~ फ़िज़ा 

Comments

Popular posts from this blog

मगर ये ग़ुस्सा?

फिर बचपन सा जीना चाहती हूँ...

प्रकृति का नियम