Tuesday, April 30, 2019

केसरी रंग ये शाम की



केसरी रंग ये शाम की 
करती है बातें इशारे की 
कभी कहती है रुक जाओ 
के अभी ढलने में वक़्त है 
तो अभी ढल रही है शाम 
कल आने की लेती है कसम
इस जाने आने के सफर में 
इस ढलने में और बहलने में 
कितने अरमानों का आना 
कितने अंजामों का जाना 
हर रंग के रंगों में ढलकर 
देती है संदेसा बदलकर 
देख लो आज जी भरकर 
कल का रंग फिर नया होगा 
नए रंगों से नया श्रृंगार होगा 

~ फ़िज़ा 

No comments:

अच्छी यादें दे जाओ ख़ुशी से !

  गुज़रते वक़्त से सीखा है  गुज़रे हुए पल, और लोग  वो फिर नहीं आते ! मतलबी या खुदगर्ज़ी हो  एक बार समझ आ जाए  उनका साथ फिर नहीं देते ! पास न हों...